दुनिया
चीन और पाकिस्तान को लेकर क्या रहेगी जो बाइडेन की पॉलिसी? जाने भारत पर क्या पड़ सकता है असर
सुलगती कैंपेनिंग, बारूदी प्रचार और आखिरी वोट तक चली रोमांचक लड़ाई. अमेरिकी चुनाव इस बार किसी हॉलीवुड फिल्म की तरह लड़े गए. आखिरी सांस तक न जो बाइडेन हारने को तैयार थे न ट्रंप हार मानने को राजी. लेकिन नतीजे आए तो तय हो गया कि अब बाइडेन ही हैं अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति. एक दौर था जब मोदी प्रधानमंत्री बने थे और तब बाइडेन उपराष्ट्रपति बने थे. एक ये दौर है जब मोदी अब भी प्रधानमंत्री हैं और जो बाइडेन राष्ट्रपति बन चुके हैं. पद बदले हैं? क्या प्राथमिकताएं भी बदलेंगी?
लेकिन अब जब अमेरिका की राजनीतिक पिक्चर बदल चुकी है तब सवाल ये कि 2014 में जिस रिश्ते ने जन्म लेना शुरू किया था, 2020 में वो कहां तक पहुंचेगा? तब जो गर्मजोशी की झलक दिखी थी, क्या अब वो भारत-अमेरिकी रिश्तों का नया इतिहास रचेगी. ये तो माना जा रहा है कि व्हाइट हाउस में बाइडेन की मौजूदगी का असर भारत-अमेरिकी रिश्तों पर ज्यादा नहीं पड़ेगा.
कूटनीतिक या व्यावसायिक रिश्तों में कोई बदलाव थोड़ा बहुत भले देखने को मिले लेकिन जहां बात वैश्विक हितों की आएगी. वहां बहुत असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि भारत की भूमिका और अमेरिकी भारतीयों का महत्व खुद अमेरिका के लिए बहुत मायने रखेगा. हां, ये जरूर है कि पाकिस्तान को लेकर बाइडेन की पॉलिसी क्या रहेगी ये भारत के लिए जरूरी होगा? चीन को लेकर बाइडेन के इरादे क्या रहेंगे इसका भी असर भारत-अमेरिकी रिश्तों में अहम भूमिका निभाएगा.
भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बाइडेन ने जो कहा था वो आने वाले दिनों में बहुत प्रभाव डालने वाला हो सकता है. उन्होंने कहा था कि अमेरिका-भारत की गहरी दोस्ती से दुनिया सुरक्षित रहेगी. विशेषज्ञों का मानना है कि करीब पचास साल से अमेरिका की राजनीति में दखल रखने वाले बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से भारत-अमेरिका के रिश्तों पर बिल्कुल भी नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा.
चीन प्रमुख चिंता
भारत-अमेरिका दोनों की प्रमुख चिंता फिलहाल चीन है. सामरिक और रणनीतिक रूप से दोनों देश एक साथ आगे बढ़ते रहेंगे. व्यापार नीति में बाइडेन प्रवासियों के लिए वीजा पॉलिसी आसान रखने के पक्षधर हैं. जिसका फायदा भारतीयों को भी मिलेगा. ट्रंप ने ये नियम बेहद कड़े कर दिए थे. बाइडेन के ईरान से संबंध बेहतर होते हैं तो भारत के लिए भी लाभदायक होगा.
बाइडेन की व्हाइट हाउस में दस्तक के साथ भारत-अमेरिकी रिश्तों में भी नई गर्माहट आने की उम्मीद की जा सकती. पुरानी भ्रांतियों के आधार पर इन रिश्तों की समीक्षा करना गलत होगा. नई व्यवस्था है तो कुछ शुरुआतें नई भी होंगी. उपराष्ट्रपति रहते बाइडेन ने भारत-अमेरिका के बीच संबंधों का पुल स्थापित करने का जो काम किया था. अब राष्ट्रपति बनने के बाद उनके लिए ये काम और भी आसान होगा.