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कोरोना ने रोकी शबनम की फांसी,1साल तक टली रही सजा

अमरोहा का बावनखेड़ी कांड: वैसे तो शबनम और सलीम को 2 साल में ही निचली अदालत ने फांसी की सजा सुना दी थी. लेकिन ऊपरी में अदालतों में अपील और राष्ट्रपति तक दया याचिका की प्रक्रिया में लंबा समय लग गया. फिर पिछले साल ही फांसी की नौबत आई तो लॉकडाउन के चलते सब रुक गया. अमरोहा. उत्तर प्रदेश के अमरोहा (Amroha) की की शबनम (Shabnam) को अपने 7 परिवारवालों के कत्ल के जुर्म में फांसी की सज़ा होनी है. अब सिर्फ एक कागजी कार्यवाही बची हुई है. अमरोहा की कोर्ट से उसका डेथ वारंट जारी होना बाकी है. इसके होते ही शबनम की फांसी तय हो जायेगी. इसके लिए रामपुर जेल अधीक्षक ने अमरोहा के जज से वारंट जारी करने अनुरोध कर दिया है. 7 लोगों के कत्ल की ये वारदात 13 साल पहले 2008 में हुई थी.

कब हुई वारदात

अब से 13 साल पहले साल 2008 में 14 अप्रैल की आधी रात शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही 7 घरवालों की हत्या तब कर दी थी, जब वे बेसुध सो रहे थे. घटना अमरोहा जिले के थाना हसनपुर में हुई थी.

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