राष्ट्रीय

फ्रांस से आए 3 और नए लड़ाकू राफेल, चीन-पाक की बढ़ेगी बेचैनी

नई दिल्ली : फ्रांस से तीन और राफेल लड़ाकू विमान बुधवार को भारत पहुंच गए। इनके साथ ही भारतीय वायु सेना (IAF) में इन अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़कर अब 11 हो गई है। आज से लगभग चार साल पहले भारत ने फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये की कीमत में 36 राफेल विमानों को खरीदने के लिए एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। तीन राफेल लड़ाकू विमानों की दूसरी खेप तीन नवम्बर को भारत पहुंची थी। लड़ाकू विमानों की पहली खेप जिसमें पांच विमान शामिल थे, गत जुलाई में पहुंची।

आसमान में ईंधन भरा गया
भारत आते समय आसमान में इन तीन लड़ाकू विमानों में यूएई एयर फोर्स के एयरबस एमआरटीटी टैंकर्स के जरिए ईंधन भरा गया जो खाड़ी देश में भारत-यूएई के करीबी सैन्य सहयोग को दर्शाता है। ये विमान वायु सेना के जामनगर वायु ठिकाने पर उतरे। फ्रांस को सभी 36 राफेल विमनों की आपूर्ति 2022 के अंत तक करनी है। राफेल 4.5 पीढ़ी का और स्टील्थ फीचर्स से युक्त विमान है। यह अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। यह एक साथ कई मिशन को अंजाम दे सकता है। ये विमान स्कल्प जैसे हथियारों से लैस हैं। मीटियोर और हैमर जैसी मिसाइल एवं हथियार से लैस हो जाने के बाद राफेल और घातक बन जाता है।

पहली खेप जुलाई में भारत पहुंची
इन तीन विमानों के भारत पहुंचने के बाद भारतीय वायु सेना ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘तीन राफेल विमान कुछ देर पहले भारतीय वायुसेना के अड्डे पर उतरे। इन विमानों ने सात हजार किलोमीटर से अधिक की उड़ान भरी। इससे पहले फ्रांस के इस्त्रेस वायुसेना अड्डे से इन विमानों ने उड़ान भरी थी। भारतीय वायुसेना यूएई वायुसेना की ओर से दी गई टैंकर मदद की सराहना करती है।’पांच राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप 29 जुलाई, 2020 को भारत पहुंची थी।

राफेल से बढ़ेगी वायु सेना की ताकत
सीमा पर चीन और पाकिस्तान के साथ जारी तनाव एवं वायु सेना की जरूरतों को देखते हुए भारत अपनी अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाना चाहता है। जून 1997 में रूस से सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान शामिल हुए थे। इसके 23 साल बाद वायु सेना के बेड़े में राफेल शामिल हो रहे हैं। यही नहीं, भारत सरकार रूस से और मिग-29 और सुखोई 30 एमकेआई विमान खरीदने जा रही है। चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों का एक साथ सामना करने के लिए आईएएफ को 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है। राफेल विमानों से वायु सेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इस तरह के लड़ाकू विमान चीन और पाकिस्तान के पास भी नहीं हैं।

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