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सोनिया गांधी ने कल बुलाई कांग्रेस के शीर्ष वरिष्ठ नेताओं की बैठक, बंगाल चुनाव से पहले पार्टी अध्यक्ष के नाम पर सहमति बनाने को लेकर भी होगी चर्चा

नई दिल्ली I कांग्रेस संगठन के चुनावों में अध्यक्ष पर आम सहमति बनाने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के शीर्ष नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक 19 दिसंबर को बुलाई है. सोनिया ने कांग्रेस में नाराज चल रहे वरिष्ठ नेताओं को भी इस बैठक में बुलाया है, जिन्होंने हाल ही में चिट्ठी लिखकर पार्टी में स्थायी अध्यक्ष समेत संगठन के चुनाव कर बदलाव करने की मांग की थी. माना जा रहा है कि इस बैठक में सोनिया गांधी पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा कर सकती हैं. 
बता दें कि कि हाल हीं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. माना जा रहा है कि कमलनाथ ने मिलकर कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह दी थी कि उन्हें खुद पार्टी के इन वरिष्ठ नेताओं से मिलकर इनकी नाराजगी दूर करनी चाहिए, क्योंकि ये सभी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और उनका अपना राजनीतिक कद है. 
 
सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पर शनिवार को होने वाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव जनवरी महीने के अंत तक होना है, जिसकी पुष्टि पार्टी के कई नेता सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं. ऐसे में सोनिया ने इस बैठक में पार्टी से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेताओं में से कुछ को आमंत्रित है, जिनके साथ वो मुलाकात करेंगी ताकि आपसी गिले-शिकवे मिटाकर पार्टी को आगे की दिशा में बढ़ाया जा सके.
 
अटकलें लगाई जा रही हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी तैयार नहीं होंगे. ऐसे में गांधी परिवार के किसी वफादार को अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी जाए, इसे लेकर भी बैठक में चर्चा हो सकती है. सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का निधन हो चुका है. ऐसे में सोनिया को भी अपना एक सेनापति चुनने की जरूरत है, जो पार्टी के वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच संतुलना बना सके.
 
दरअसल, सोनिया गांधी की उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव करना ही होगा. राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद सोनिया ने दूसरी बार पार्टी की कमान संभाली है और अब वे उम्र के ऐसे पढ़ाव पर हैं, जहां वो जमीनी तौर पर सक्रिया भूमिका नहीं निभा पा रही हैं. ऐसे में पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष चुनना है. 

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